
मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने पर नर्सिंग होम के एक डाक्टर को पांच लाख का मुआवजा देना पड़ेगा। राज्य उपभोक्ता आयोग ने डाक्टर की अपील को निरस्त कर जिला आयोग के आदेश को यथावत रखा है।
मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने पर नर्सिंग होम के एक डाक्टर को पांच लाख का मुआवजा देना पड़ेगा। राज्य उपभोक्ता आयोग ने डाक्टर की अपील को निरस्त कर जिला आयोग के आदेश को यथावत रखा है। परिवादी राकेश कुमार का 25 जुलाई 2018 को बाएं हाथ की हड्डी पेड़ से गिरने की वजह से टूट गई थी। उसे इलाज के लिए भाटापारा आस्था नर्सिंग होम लाया गया तो वहां के डाक्टर ने प्लास्टर बांधकर पांच दिन की दवा लिखकर वापस भेज दिया।
दो दिनों बाद राकेश के पूरे हाथ में सूजन व चमड़ी काली पड़ने लगी। वह शिकायत लेकर फिर डाक्टर के पास पहुंचे तो अतिरिक्त दवा की पर्ची थमाकर उसे फिर से लौटा दिया। परेशानी ठीक नहीं होने पर राकेश पुन: अस्पताल पहुंचे तो डाक्टर ने इलाज करने में असमर्थता जताकर सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दी।
सिम्स बिलासपुर में जांच में उसके हाथ में गैंगरीन होना पाया गया और उसे रायपुर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। राकेश के पिता उसे दूसरे निजी अस्पताल ले गए, जहां गैंगरीन फैलने का आशंका पर उसका हाथ काटना पड़ा। इस मामले में परिवादी ने जिला आयोग में शिकायत की थी, जिस पर जिला आयोग ने संबंधित डाक्टर पर लापरवाही बरतने पर पांच लाख रुपये देने का आदेश पारित किया था। डाक्टर ने इस मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की थी, जिसे निरस्त कर दिया गया।